ध्यान की परम स्थिति कौन सी है | Dhyan ki param sthiti kaun si hai

Anup Dubey

ध्यान की परम में स्थिति को जानने के लिए हमें क्या करना चाहिए

Dhyan ki param sthiti kaun si hai ध्यान की परम में स्थिति को जानने के लिए और इसे अनुभव करने के लिए आपको कुछ बातों की जानकारी होना बहुत ही जरूरी है जैसे ध्यान करने का सही समय का चुनाव कैसे करें, ध्यान करने का सही तरीका कौन सा है

जब आप ध्यान करने के सही तरीके को अपनाकर ध्यान करने की तैयारी में थोड़ा सा समय खर्च करते हैं तो आपको जो गहरा अनुभव होता है उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता इसे सिर्फ अनुभव किया जा सकता है
शुरुआती दौर में ध्यान करते वक्त आपको काफी समस्याओं का सामना करना पड़ेगा आपका मन ध्यान करते वक्त इधर-उधर भटकना यह बहुत ही आम बात है पर आपको अपने ध्यान में लगे रहना है

जैसे जैसे आप ध्यान करेंगे आपको महसूस होगा कि आप अपने ध्यान में पहले से ज्यादा ध्यान की गहराइयों में डूब रहे है आपके जीवन में मायूसी है और जीवन में उत्साह की कमी है और आपको भावना दूसरों से परेशानी है   

आपको जान जरूर करना चाहिए ध्यान आपके जीवन में आने वाली समस्याओं को बहुत नहीं करता लेकिन उसे पॉजिटिव तरह से नहीं पहले और उससे पार करने में  भावनात्मक रूप से आपकी सहायता करता है
 

Dhyan ki param sthiti kaun si hai

ध्यान करते वक्त आपको कुछ खास बातों का पालन करना चाहिए  जो आपको ध्यान की परिस्थिति तक ले जाने में आपकी सहायता करेंगे
 
जैसे सबसे पहले एक जगह पर आंखें बंद करके शांत बैठ जाना चाहिए आप को ध्यान करते समय पेट को खाली रखना चाहिए और बैठते वक्त आराम से बैठना चाहिए ध्यान का आरंभ योगा और गहरी सांसो से करना चाहिए
 
पहले आप जमीन पर आलतू फालतू मारकर बैठ जाएं ध्यान करते समय हमेशा भीड़ की हड्डी को सीधा रखें और अपने गर्दन और कंधों को ढीले छोड़ दें ध्यान करते वक्त अपनी आंखों को बंद रखें
 
हमेशा ध्यान करने से पहले आप अपने शरीर को थोड़ा सा प्रॉब्लम कर लें ऐसा करने से शरीर में रक्त का प्रभाव बढ़ जाता है और शरीर में आई जड़ता दूर हो जाती है ऐसा करने से आपको शरीर में हल्का पन महसूस होता है और आप ध्यान करने के समय ज्यादा अधिक समय तक बैठ पाते हैं

 

खाली पेट ध्यान क्यों करें

खाली पहचान करने को खास महत्व इसलिए दिया जाता है क्योंकि हमें अक्सर भोजन करने के बाद नींद आने लगती है इसलिए भोजन से पहले का समय ध्यान के लिए सही माना जाता है लेकिन हमेशा ध्यान रखें जब आपको जरुरत से ज्यादा भूख लग रही हो तो कुछ थोड़ा बहुत खाना के बाद ही ध्यान पर बैठे
ऐसा ना करने से आपको ध्यान करते समय पेट के अंदर भूख के कारण होने वाली ऐठन आपको ध्यान करने मे बाधा बन सकती है और ऐसा भी होना संभव है कि आप ध्यान करते समय  सिर्फ भोजन के बारे में विचार करते रहे
 

ध्यान हमेशा एकांत में करें

ध्यान करने की जगह हमेशा शांत होनी चाहिए जहां पर आपको कोई भी परेशान ना करें

 

ध्यान का समय कैसे चुने

ध्यान करने के लिए सूर्योदय और सूर्यास्त का समय ही सबसे उपयुक्त माना जाता है  ध्यान करने के लिए कौन सा समय सही है यह आप अपनी सुविधा के अनुसार तय कर सकते हैं जब भी आपको एकांत का माहौल मिलता है
 
आप वही समय अपने लिए चुने यह हर किसी के लिए अलग अलग हो सकता है ध्याना वास्तव में आराम का समय है ऐसे में किसी प्रकार की जल्दी नहीं होनी चाहिए

 

ध्यान की परम स्थिति कौन सी है

ध्यान की परम  स्थिति वह होती है जब व्यक्ति आत्मज्ञान को प्राप्त कर लेता है  जब ऐसा होता है तो व्यक्ति अपने जीवन में असीम शांति का अनुभव करता है इसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता ऐसी अवस्था में व्यक्ति को गंध स्पर्श रस रूप इन 5 विश्व की इच्छा नहीं होती
व्यक्ति को ना सर्दी गर्मी का एहसास होता है नहीं भूख प्यास उसे परेशान कर पाती है ऐसा व्यक्ति पूरी शक्ति से संपन्न होता है और बौद्ध कहलाता है ऐसी स्थिति में इंद्रियां पूरी तरह शांत हो जाती है और आपकी चेतना जागृत रहती है चेतना का यह स्तर आनंद  से भरा होता है


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